अकबर का फुटपाथ
कमलेश बक्शी
घूमने वाली की भीड़ नरीमन पॉइंट तक जाती रही
लौटती रही शाल ओढ़े स्वेटर सूट कोट पहने छोटे बच्चों के कनटोपि लगी है ठंड से
ठिठुरते इन दो बच्चों की तरफ किसी का ध्यान नहीं था। मैं रूक गयी। इन्हें
देख। सोई लड़की के पास बड़े लड़के से पूछा - यह कौन है।
मेरी बहन है।
हाथ में कपड़ा है इसपर डाल दे।
ये कपड़ा। ........ उसने आश्चर्य से मेरी आर ओर देखा। इसे डाल दूंगा तो कारें किससे पूछूंगा।
मैं पल को उसके मासूम चेहरे को देखती रही। हाथ मेँ लटकता आधगज मैले कपड़ा - तन की ठंड नहीं पेट की आग बुझाने में उपयोगी है। सड़क पर रूकती कार देख वह भाग गया।
उसकी मैली फटी बनयान फटी से छोटी सी हाफपैंट उधर तार तार फ्राक पहने चार पांच वर्षीय बच्ची एक हाथ सिर के नीचे दूसरा गाल कान को छूटा करवट लिये थी जैसे कान पकड़े सो रही हो। किस गुनाह की सजा के लिये कह नहीं सकते।
मैं पास की खाली बेंच पर बैठ गई न मेरे पैर आगे बढे न पीछे लौटे।
पास में बैठे लोग चर्चा कर रहे थे आज बहुत ठंड है। दूसरा बोला सात साल बाद टेम्प्रेचर इतना लो हुआ है। यही दो चार दिन बम्बई वालों को गर्म कपड़े पहनने का मौका मिलता है।
कुछ लड़के लड़की कागज इकट्ठा कर आग जला अलाव के आसपास बैठ गए थे। कार पोंछ लड़का फिर बहन के पास आ बैठ गया था विचारों को झटक
मैने फिर प्रश्न किया ••••
माँ ••••
मर गयी
क्या हुआ था
उसने न में सिर हिला दिया
याद आती है -
वह चुप रहा -
बाप
मजदूरी करता है।
फिर तुम क्यों -
वह पीता है। बोहुत पी लेता है तो रोटी नहीं बनाता। रोटी नहीं होती है तो मैं और मुमताज उसल पाव खा लेते हैँ हमें भूखे पेट नींद नहीं आती। इसीलिए काम करता हूँ।
मेरी बहन है।
हाथ में कपड़ा है इसपर डाल दे।
ये कपड़ा। ........ उसने आश्चर्य से मेरी आर ओर देखा। इसे डाल दूंगा तो कारें किससे पूछूंगा।
मैं पल को उसके मासूम चेहरे को देखती रही। हाथ मेँ लटकता आधगज मैले कपड़ा - तन की ठंड नहीं पेट की आग बुझाने में उपयोगी है। सड़क पर रूकती कार देख वह भाग गया।
उसकी मैली फटी बनयान फटी से छोटी सी हाफपैंट उधर तार तार फ्राक पहने चार पांच वर्षीय बच्ची एक हाथ सिर के नीचे दूसरा गाल कान को छूटा करवट लिये थी जैसे कान पकड़े सो रही हो। किस गुनाह की सजा के लिये कह नहीं सकते।
मैं पास की खाली बेंच पर बैठ गई न मेरे पैर आगे बढे न पीछे लौटे।
पास में बैठे लोग चर्चा कर रहे थे आज बहुत ठंड है। दूसरा बोला सात साल बाद टेम्प्रेचर इतना लो हुआ है। यही दो चार दिन बम्बई वालों को गर्म कपड़े पहनने का मौका मिलता है।
कुछ लड़के लड़की कागज इकट्ठा कर आग जला अलाव के आसपास बैठ गए थे। कार पोंछ लड़का फिर बहन के पास आ बैठ गया था विचारों को झटक
मैने फिर प्रश्न किया ••••
माँ ••••
मर गयी
क्या हुआ था
उसने न में सिर हिला दिया
याद आती है -
वह चुप रहा -
बाप
मजदूरी करता है।
फिर तुम क्यों -
वह पीता है। बोहुत पी लेता है तो रोटी नहीं बनाता। रोटी नहीं होती है तो मैं और मुमताज उसल पाव खा लेते हैँ हमें भूखे पेट नींद नहीं आती। इसीलिए काम करता हूँ।
आज कितना पैसा कमाया
उसने पेंट की पाकेट से पैसे निकले गिनकर बोला - तीन रुपये पैंसठ पैसे।
और क्या करते हो पैसे का -
अभी आइसक्रीम खाते हैं -
पैसे बचे होंगे उनको
मैं जमा करता हूँ - उल्लास से बोला।
कहाँ -
बप्पा के पास गोलक है उसमे डालता हूँ।
बापने पैसे निकाल पी लिया तब नहीं निकालेगा ।
पैसा जमा करके क्या करोगे -
वह शुन्य में देखता रहा कोई जबाब नहीं दिया। कपड़े को झटक पार्क हो रही कार के पास दौड़ गया। तेजी से हाथ चलने लगा।
साब पैसा •••••• कार पोछते पोछते पैसा ले लिया।
वापस आ फिर वहीँ बैठ गया।
ये कपड़ा उसपर डाल दे जब पोछने जाये तब उठा लेना।
नहीं शरद गरम हो जाता है ऐसा ही ठीक है।
तेरा नाम क्या है -
अकबर -
जा बहन को झोपड़े में छोड़ आ देख कैसे पाव पेट में चिपका लिये।
वह सुबह से शाम तक यहीं खेलती रहती है। स्कूल नहीं जाती। भूख लगती है तो मांग लेती है। चना सींग भेलवाले इसे दे देते हैं।
मुझे गुस्सा आता है उसके मांगने पर। मेरे सामने नहीं मांगती। मुझसे पैसा ले खरीद कर खाती है। कल भी ठंड थी सो रही थी तो मैं इसे रस्सी से बांध आया था -
उठी होगी तो खोलकर आ गयी थी। हमें आप लोगों की तरह ठंड नहीं लगती। चनावाला क्या स्वेटर पहने है - "आपको भी ठंड नहीं लगती - आपने भी स्वेटर नहीं पहना ।" एक हाथ बनियान के अंदर क्यों डाल रखा है। "कास में गुमडा निकला है।"
वह तो बहुत दुखता है
आज फूट गया -
कल तक का जानलेवा दर्द भूल गया होगा - फूटने से दर्द में रहत मिली होगी -
वही याद है -
थोडा सुस्ताने के लिये बहन के पास लेट गया।
कितने पैसे हो जाते हैं रोज - मैने बात जारी रखी
छुट्टी के दिन पांच सात - नहीं तो दो चार -
रूकती कार की तरफ फिर भाग गया –
उसने पेंट की पाकेट से पैसे निकले गिनकर बोला - तीन रुपये पैंसठ पैसे।
और क्या करते हो पैसे का -
अभी आइसक्रीम खाते हैं -
पैसे बचे होंगे उनको
मैं जमा करता हूँ - उल्लास से बोला।
कहाँ -
बप्पा के पास गोलक है उसमे डालता हूँ।
बापने पैसे निकाल पी लिया तब नहीं निकालेगा ।
पैसा जमा करके क्या करोगे -
वह शुन्य में देखता रहा कोई जबाब नहीं दिया। कपड़े को झटक पार्क हो रही कार के पास दौड़ गया। तेजी से हाथ चलने लगा।
साब पैसा •••••• कार पोछते पोछते पैसा ले लिया।
वापस आ फिर वहीँ बैठ गया।
ये कपड़ा उसपर डाल दे जब पोछने जाये तब उठा लेना।
नहीं शरद गरम हो जाता है ऐसा ही ठीक है।
तेरा नाम क्या है -
अकबर -
जा बहन को झोपड़े में छोड़ आ देख कैसे पाव पेट में चिपका लिये।
वह सुबह से शाम तक यहीं खेलती रहती है। स्कूल नहीं जाती। भूख लगती है तो मांग लेती है। चना सींग भेलवाले इसे दे देते हैं।
मुझे गुस्सा आता है उसके मांगने पर। मेरे सामने नहीं मांगती। मुझसे पैसा ले खरीद कर खाती है। कल भी ठंड थी सो रही थी तो मैं इसे रस्सी से बांध आया था -
उठी होगी तो खोलकर आ गयी थी। हमें आप लोगों की तरह ठंड नहीं लगती। चनावाला क्या स्वेटर पहने है - "आपको भी ठंड नहीं लगती - आपने भी स्वेटर नहीं पहना ।" एक हाथ बनियान के अंदर क्यों डाल रखा है। "कास में गुमडा निकला है।"
वह तो बहुत दुखता है
आज फूट गया -
कल तक का जानलेवा दर्द भूल गया होगा - फूटने से दर्द में रहत मिली होगी -
वही याद है -
थोडा सुस्ताने के लिये बहन के पास लेट गया।
कितने पैसे हो जाते हैं रोज - मैने बात जारी रखी
छुट्टी के दिन पांच सात - नहीं तो दो चार -
रूकती कार की तरफ फिर भाग गया –
रहते कहाँ हो - लौटा तो मैने पूछो -
नरीमन पॉइंट पर बनती इमारतों के आसपास मजदूरों के झोपड़े दिखे - वही होगा इसका झोपड़ा - मैने सोचा -
पढ़ते हो - हाँ - कोलाबा स्कूल जाता हूँ - दूसरी में हूँ -
इन कपड़ो में -
पल को झिझकता सकुचाया, एक जोड़ी कपड़ा है नया लिया था।
पढ़ना अच्छा लगता है
इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था।
खेलना
दोपहर को यहीं खेलते हैं - चौपाटी तक पैदल जाते हैं जब गर्मी होती है न वहाँ समुद्र में नहाते हैं तैरते भी है।
बच्ची का भविष्य कब तक सुरक्षित रहेगा फुटपाथ पर प्रश्न मस्तिष्क में कौंधा था।
तीखे नाक नक्शा खुला रंग - भूरे धूल भरे बालों में फटे कपड़ो में भी परी सी लग रही थी।
एक चानेवाला पास ही खोमचा लिये खड़ा था। बाते सुन रहा था तभी बोला यहाँ ठंड कहाँ - ठंड तो मामुली पड़ती है। वह रहा उसका बाप आ रहा है।
कुछ देर चने वाले से बात कर उस आदमी ने चने लिये एक फक्का अपने मुंह में डाला। पासमें आ खड़े हुये अकबर को दिया। बाकी हथेली में लिये लड़की को हिलाया लड़की सचेत उठ खड़ी हुई। आप बच्चों की तरह न कुनमुनाई मचली उसके शारीर के रोयें खड़े थे पर ठंड की कोई चर्चा नहीं थी। बाप ने हथेली लड़की के फटे मुंह को लगा दी - तभी दाने एक साथ मुंह में चले गये, मुंह चलने लगा। बाप के हाथ में छोटी सी पोटली थी कुछ खामे का या बनाने का सामान होगा। लड़की ने पोटली थाम ली तीनों एक के पीछे एक चल दिये।
सन्धू की तरफ मैने मुंह फेर लिया तो सूरज डूब गया था। ललाई पिलाई शितिज में फैल गयी थी। हवा का तेज ठंडा झोंका आया था तन में सिहरन भर गया, मन को कचोटने वाले विचारों में डूबती में लौट आई थी।
नरीमन पॉइंट पर बनती इमारतों के आसपास मजदूरों के झोपड़े दिखे - वही होगा इसका झोपड़ा - मैने सोचा -
पढ़ते हो - हाँ - कोलाबा स्कूल जाता हूँ - दूसरी में हूँ -
इन कपड़ो में -
पल को झिझकता सकुचाया, एक जोड़ी कपड़ा है नया लिया था।
पढ़ना अच्छा लगता है
इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था।
खेलना
दोपहर को यहीं खेलते हैं - चौपाटी तक पैदल जाते हैं जब गर्मी होती है न वहाँ समुद्र में नहाते हैं तैरते भी है।
बच्ची का भविष्य कब तक सुरक्षित रहेगा फुटपाथ पर प्रश्न मस्तिष्क में कौंधा था।
तीखे नाक नक्शा खुला रंग - भूरे धूल भरे बालों में फटे कपड़ो में भी परी सी लग रही थी।
एक चानेवाला पास ही खोमचा लिये खड़ा था। बाते सुन रहा था तभी बोला यहाँ ठंड कहाँ - ठंड तो मामुली पड़ती है। वह रहा उसका बाप आ रहा है।
कुछ देर चने वाले से बात कर उस आदमी ने चने लिये एक फक्का अपने मुंह में डाला। पासमें आ खड़े हुये अकबर को दिया। बाकी हथेली में लिये लड़की को हिलाया लड़की सचेत उठ खड़ी हुई। आप बच्चों की तरह न कुनमुनाई मचली उसके शारीर के रोयें खड़े थे पर ठंड की कोई चर्चा नहीं थी। बाप ने हथेली लड़की के फटे मुंह को लगा दी - तभी दाने एक साथ मुंह में चले गये, मुंह चलने लगा। बाप के हाथ में छोटी सी पोटली थी कुछ खामे का या बनाने का सामान होगा। लड़की ने पोटली थाम ली तीनों एक के पीछे एक चल दिये।
सन्धू की तरफ मैने मुंह फेर लिया तो सूरज डूब गया था। ललाई पिलाई शितिज में फैल गयी थी। हवा का तेज ठंडा झोंका आया था तन में सिहरन भर गया, मन को कचोटने वाले विचारों में डूबती में लौट आई थी।
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